ज्यादा गर्म चाय पीने से इस गंंभीर बीमारी का खतरा दो गुना बढ़ जाता है

ज्यादा गर्म चाय पीने से इस गंंभीर बीमारी का खतरा दो गुना बढ़ जाता है

सेहतराग टीम

हर कोई अपने दिन की शुरुआत एक कप गर्म चाय की प्याली के साथ करता है। लेकिन क्या आपको पता है कि एक नए अध्ययन के अनुसार जो लोग ज्यादा गर्म चाय पीते हैं उन्हें इसॉफ़गस कैंसर होने बढ़ जाता है।

रिसर्च में पाया गया कि जो लोग 60 डिग्री सेल्सियस (140 डिग्री फ़ारेनहाइट) से अधिक गर्म चाय पीना पसंद करते हैं और लगभग दो बड़े कप यानी 700 मिलीलीटर से अधिक चाय पीते हैं उनमें इसॉफ़गस यानी ग्रासनली के कैंसर होने का खतरा जो लोग कम गर्म चाय पीते हैं उनकी तुलना में 90% अधिक बढ़ जाता है।

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के डॉक्टर और अध्ययन के लेखक डॉ. फरहाद इस्लामी ने कहा कि हमने पूर्वोत्तर ईरान के एक प्रांत गोलस्टान में 50,000 से अधिक लोगों पर अध्ययन किया। ज्यादातर लोग चाय, कॉफी और अन्य गर्म पेय पदार्थों को पीने का आनंद लेते हैं। लेकिन हमारी रिपोर्ट के अनुसार जो लोग ज्यादा गर्म चाय पीते हैं उनमें इसॉफ़गस कैंसर होने का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए लोगों को सावधान रहना चाहिए और चाय और अन्य गर्म पेय को पीने से पहले ठंडा होने दें।

पिछले शोध में भी गर्म चाय पीने और इसॉफ़गस कैंसर के बीच संबंध पाया गया था। लेखक के अनुसार इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित यह अध्ययन एक स्पेशल तापमान की तरफ इशारा करने वाला पहला था।

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के अनुसार, इसॉफ़गस कैंसर दुनिया का आठवां कॉमन कैंसर है और जानलेवा है। यह खासतौर पर  धुएं, शराब, ग्रासनली में बार-बार चोट लगने, एसिड रिफ्लक्स और ज्यादा गर्म पेय पीने से होता है। ग्रासनली शरीर का वह भाग है जिससे द्वारा खाना और पानी पेट तक पहुंचता है।

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुमान के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका में 2019 में एसोफैगल कैंसर के  पुरुषों में 13750 नए मामलों और महिलाओं में 3900 मामलों का डाइग्नोस किया जाएगा।

शोध कर्ताओं की टीम ने 2014 से 2017 के बीच 10 साल की औसत से 40 से 75 साल की उम्र के 50,045 लोगों को फॉलो किया जिसमें इसॉफ़गस कैंसर के 317 नए मामले सामने आएं।

अध्ययन में कहा गया कि इस पर और रिसर्च करने की जरूरत है कि वास्तव में ज्यादा गर्म चाय पीने से इसॉफ़गस कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के फार्माकोपाइडेमियोलॉजी के एक प्रोफेसर स्टीफन इवांस ने कहा कि पेय का गर्म होना मुख्य वजह है न कि पेय। उन्होंने सोशल मीडिया सेंटर को बताया कि मइक्रोवेव को इसॉफ़गस की इंजरी का कारण माना जाता है। यह संभव है कि घाव से सेल बदलती हैं जो इसॉफ़गस कैंसर का कारण बनता है।

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के वरिष्ठ शोध सहयोगी डॉ. जेम्स डोइज ने सोशल मीडिया सेंटर को बताया कि गर्म पेय या गर्म चाय इसॉफ़गस कैंसर होने का प्रमाणित रिस्क फैक्टर है। उन्होंने आगे कहा कि शरीर की सतह पर बार-बार जलन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है, सनबर्न हमें त्वचा का कैंसर देता है, धूम्रपान हमें फेफड़ों का कैंसर देता है और कई खाद्य पदार्थ और पेय गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर के जोखिम को बढ़ाते हैं। हालांकि डोइज इस स्टडी शामिल नहीं थे।

 

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